साहित्य की दुनिया अली सरदार जाफरी साहब का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है। कवि, नाटककार, कहानीकार, फिल्म निर्माता, आलोचक, चिन्तक, सामजिक कार्यकर्ता जाने कितने रूप थे उनके। इस मौके पर जाफरी साहब की एक गजल पेश है-
“याद आये हैं अहदे जुनूं के खोये हुए दिलदार बहुत,
उनसे दूर बसाई बस्ती, जिनसे हमें था प्यार बहुत।
इक इक कर के खिली थी कलियाँ, इक इक कर के फूल गए,
इक इक करके हमसे बिछड़े, बागे-जहाँ में यार बहुत।
हुस्न के जलवे आम हैं लेकिन, जौके-नजारा आम नहीं,
इश्क बहुत मुश्किल है लेकिन, इश्क के दावेदार बहुत।
जख्म कहो या खिलती कलियाँ, हाथ मगर गुलदस्ता है,
बागे-वफ़ा से हमने चुने हैं, फूल बहुत और ख़ार बहुत।
जो भी मिला है ले आये हैं, दागे-दिल या दागे-जिगर,
वादी-वादी, मंजिल-मंजिल, भटके हैं सरदार बहुत।”